बीतक चर्चा
प्रवचन कर्त्ता
श्री राजन स्वामी
अनुभूमिका
बीतक कोई मानवीय इतिहास नहीं है और न ही किसी भगवान, आचार्य, सन्त या गुरु का अपने भक्तों या शिष्यों के साथ घटित होने वाला वृत्तान्त है। स्वलीला अद्वैत सच्चिदानन्द परब्रह्म का अपनी आवेश शक्ति द्वारा श्री महामति जी के धाम हृदय में विराजमान होकर उन्हें श्री प्राणनाथ जी के स्वरूप में अपने जैसा ही बना देने एवं माया के अन्धकार में भटकती हुई आत्माओं को क्षर-अक्षर से परे परमधाम की अलौकिक राह दिखाने की दिव्य लीला का वर्णन ही बीतक है।
सृष्टि के प्रारम्भिक काल से ही कुछ ऐसे प्रश्न हैं, जिनका यथोचित उत्तर जानने का प्रयास प्रत्येक मनीषि करता रहा है। मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ, मृत्यु के पश्चात् मैं कहाँ जाऊँगा? परब्रह्म कौन है, कहाँ है, और कैसा है? यह सृष्टि क्यों बनी, कैसे बनी, तथा लय होने के पश्चात् इसका अस्तित्व कहाँ विलीन हो जायेगा?
यद्यपि तारतम वाणी में इन प्रश्नों का यथावत् समाधान है, किन्तु उस ज्ञान मंजूषा को खोलने की कुंजी बीतक है। इसमें विभिन्न घटना क्रमों के माध्यम से ज्ञान के अनमोल मोतियों को बिखेरा गया है तथा वेद कतेब के एकीकरण द्वारा समस्त विश्व को एक आँगन में लाने की एक मधुर झाँकी दर्शायी गयी है। इसका अनुशीलन करने वाला डिण्डिम घोष के साथ यह कह सकता है- कौन कहता है कि परब्रह्म का साक्षात्कार नहीं हो सकता? मुझे तो ब्रह्मात्माओं के पद्चिन्हों पर चलकर ऐसा लग रहा है कि परब्रह्म मेरी आत्मा के धाम हृदय में अखण्ड रूप से विराजमान हैं और उन्हें अपनी अन्तर्दृष्टि से कभी भी देखा जा सकता है।
प्रस्तुत ग्रन्थ श्री राजन स्वामी जी द्वारा वर्ष 2018 में ज्ञानपीठ में की गई श्री बीतक साहब की चर्चा का अक्षरशः प्रलेखन है। इसका मुख्य उद्देश्य पाठकों को ऐसी अनुभूति कराना है कि मानों वे जीवन्त चर्चा सुन रहे हों। इस कारण से पठन के दौरान इसकी भाषा और शैली आपको थोड़ी सी विचित्र लग सकती है परन्तु इससे इसके मूल पाठ पर कोई प्रभाव नहीं पड़े, ऐसा प्रयास किया गया है। फिर भी पाठकों से अनुरोध है कि यदि कोई त्रुटियां हो तो निःसंकोच सूचित करने की कृपा करें ताकि अगले संस्करण में सुधार किया जा सके।
प्रलेखन कार्य में जयपुर सुन्दरसाथ डॉ. नैन्सी और ज्ञानपीठ की दीप्ति बहन ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त प्रूफ-रीडिंग कार्य में श्री कृष्ण कुमार कालड़ा जी, श्री वास्तव माता जी, श्री जुनेजा बाबू जी व श्री सेठी जी ने सहयोग प्रदान किया है। टाइपिंग व त्रुटियों के सुधार के कार्य में ज्ञानपीठ के आचार्यों एवं छात्रों, विशेषकर कनेश्वर जी, धर्म जी, पंकज जी, सूरज जी, शैलेष जी, गणेश जी, नीरज जी, विजय जी, सुभाष जी और अनन्या जी की अथक सेवा को भुलाया नहीं जा सकता। धामधनी से प्रार्थना है कि इन सब सुन्दरसाथ पर अपनी मेहर बनाए रखें।
प्रणाम जी
आपकी चरणरज
अशोक राज
अनुक्रमणिका
क्रम संख्या
1. पहला दिन....................................................................................
2. दूसरा दिन...................................................................................
3. तीसरा दिन..................................................................................
4. चौथा दिन....................................................................................
5. पांचवां दिन...................................................................................
6. छठवां दिन..................................................................................
7. सातवां दिन.................................................................................
8. आठवां दिन..................................................................................
9. नवां दिन....................................................................................
10. दसवां दिन.................................................................................
11. ग्यारहवां दिन..............................................................................
12. बारहवां दिन...............................................................................
13. तेहरवां दिन................................................................................
14. चौदहवां दिन...............................................................................
15. पन्द्रहवां दिन...............................................................................
16. सोलहवां दिन..............................................................................
17. सत्रहवां दिन...............................................................................
18. अठारहवां दिन............................................................................
19. उन्नीसवां दिन.............................................................................
20. बीसवां दिन...............................................................................
21. एक्कीसवां दिन............................................................................
22. बाइसवां दिन..............................................................................
23. तेइसवां दिन...............................................................................
24. चौबीसवां दिन.............................................................................
25. पच्चीसवां दिन.............................................................................
26. छब्बीसवां दिन...........................................................................
27. सत्ताइसवां दिन...........................................................................
28. अट्ठाइसवां दिन...........................................................................
29. उन्तीसवां दिन.............................................................................
30. तीसवां दिन................................................................................
31. एकतीसवां दिन.............................................................................
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